खेलने लगी धूप से आँख मिचौली ! खेलने लगी धूप से आँख मिचौली !
लेते रहने का काम किया अभी भी समय है मनुष्य प्रकृति को सँवारने का। लेते रहने का काम किया अभी भी समय है मनुष्य प्रकृति को सँवारने का।
ऋतुराज बसंत को आगमन को बेरामा | ऋतुराज बसंत को आगमन को बेरामा |
देना जानती है ये भी ईंट का जवाब पत्थर से। देना जानती है ये भी ईंट का जवाब पत्थर से।
खेल को खेल जानकर खेलती हुई कविता , खोलती,टटोलती हर दम खेल खेलती जिंदगी .... हम खेल खेलते हैं .......... खेल को खेल जानकर खेलती हुई कविता , खोलती,टटोलती हर दम खेल खेलती जिंदगी .... हम ख...
तेरे हर एक पल से मुझे तेरा आशीर्वाद मिला। तेरे हर एक पल से मुझे तेरा आशीर्वाद मिला।